गिलोय जिसे गुडुची (Guduchi) या अमृता के नाम से भी जाना जाता है, आयुर्वेद की एक गुणकारी औषधि है जो जंगली इलाकों में प्राकर्तिक रूप से पायी जाती है। गिलोय का इस्तेमाल प्राचीन काल से ही अलग अलग रोगों को ठीक करने के लिए औषधि के रूप में किया जाता रहा है। और आज भी इसे बहुत सारी आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने में प्रयोग किया जाता है खासतौर से बुखार ठीक करने वाली और इम्युनिटी बूस्ट करने वाली दवाओं में। गिलोय को वैज्ञानिक भाषा में ‘Tinospora cordifolia’ कहा जाता है और यह सामान्यतः उष्ण और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में देखी जाती है, इसके अलावा गिलोय की बेल जंगलों, खेतों की मेड़ों, चट्टानों आदि में आपको आसानी से देखने को मिल जाएगी। गिलोय की खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी की आवश्यता होती है और इसका तना, जड़, पत्ती सभी चिकित्स्कीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है। वैसे तो गिलोय कोई दुर्लभ जड़ी बूटी नहीं है मतलब आसानी से ये आपको देखने को मिल जाएगी लेकिन असली गिलोय की पहचान सावधानीपूर्वक करनी चाहिए क्योंकि इसकी शेप पान के पत्ते जैसी होती है। दोस्तों गिलोय में बहुत सारी स्वास्थवर्धक खूबियां होती हैं, और इन्ही बेनिफिट्स के कारण ही आजकल कई घरों में इसे as a decorative plant भी लगाया जाने लगा है जिसके लिए ज़्यादा मेहनत भी नहीं लगती है और इसकी बेल बढ़ती भी तेज़ी से है तो इसे आप आसानी से घर पर grow कर सकते हैं। बात करें गिलोय के पौष्टिक मूल्य की तो इसमें कॉपर, प्रोटीन, जिंक, फ़ास्फ़रोस, कैल्शियम, mangnese आदि तत्व पाए जाते हैं इसमें कुछ बायो एक्टिव कंपाउंड्स जैसे alkaloids, diterpenoid lactones, glycosides, steroids, sesquiterpenoid, phenolics , Magnoflorine, Berberine , Choline tinosporic acid आदि भी मौजूद रहते हैं ।
गिलोय को therapeutic purpose से और अधिक महत्वपूर्ण बनाती हैं इसकी एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल, एंटी वायरल, एंटी cancer अडाप्टोगेनिक और कामोद्दीपक गुण, और Guys, इसकी एक ख़ास बात यह है की गिलोय की बेल जिस पेड़ पर भी चढ़ती है उसके गुणों को अपने में समां लेती है और इस लिहाज़ से नीम पर चढ़ी गिलोय काफी अच्छी मानी जाती है।
गिलोय खाने के मुख्य फायदे
ब्लड शुगर लेवल कण्ट्रोल करने में सहायक
गिलोय में एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते हैं, जिसकी वजह से यह ब्लड में मौजूद एक्स्ट्रा ग्लूकोस को ग्लाइकोजन के रूप में स्टोर करने का काम करती है। नियमित गिलोय के सेवन से अग्नाशय की बीटा कोशिकाएं प्रयाप्त इन्सुलिन हॉर्मोन का निर्माण करने के लिए उत्तेजित होती हैं, जिससे धीरे धीरे डायबिटीज की कंडीशन कण्ट्रोल होने लगती है और patients का रक्त शर्करा का स्तर बहुत ज़्यादा नहीं बढ़ता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत करती है
गिलोय में बहुत सारी खूबियां मौजूद हैं, उन्ही में से एक खूबी यह भी है कि यह शरीर की इम्युनिटी को बूस्ट करती है, विभिन्न संक्रमणों के प्रभाव को कम करती है, रोगों से लड़ने के लिए शरीर को मज़बूत बनाती है और white blood cells की कार्यविधि भी बेहतर होती है। हम सभी जानते हैं कि हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार की मेटाबोलिक एक्टिविटीज चलती रहती हैं, जिसके कारण बहुत सारे फ्री रेडिकल्स बॉडी में form होते हैं जो हार्मफुल होते हैं, गिलोय इन मुक्त कणों के प्रभाव को नष्ट करके शरीर की प्रत्येक कोशिका को स्वस्थ बनाये रखने में मदद करती है।
बुखार ठीक करने में सहायक
गिलोय में Anti pyretic properties होती हैं इसीलिए इसका का इस्तेमाल क्रोनिक और एक्यूट दोनों प्रकार के बुखार को ठीक करने में किया जाता है, यह वायरल फीवर, मलेरिया, स्वाइन फ्लू, टाइफाइड और डेंगू आदि फीवर को ठीक करने में और बॉडी को जल्दी रिकवर होने में मदद करती है। डेंगू फीवर में प्लेटलेट काउंट बहुत कम होजाता है और व्यक्ति बहुत कमज़ोर हो जाता है, ऐसे में गिलोय के इस्तेमाल से प्लेटलेट काउंट भी इम्प्रूव होता है और शारीरिक कमज़ोरी भी दूर होती है।
पाचन तंत्र मज़बूत बनाती है
गिलोय पेट सम्बन्धी रोगों के लिए easiest remedy हम मान सकते हैं क्योंकि ये digestion इम्प्रूव करती है, गैस, सीने में जलन, पेट दर्द, एसिड रिफ्लक्स आदि को ठीक करती है। यह आंतों में peristaltic movement बढ़ाती है जिससे आंतों में जमा मल ढीला होकर शरीर से excrete out हो जाता है और constipation की समस्या दूर हो जाती है। इतना ही नहीं गिलोय बॉडी मेटाबोलिज्म बूस्ट करती है, मोटापा कम करती है और वात पित्त संतुलन बनाये रखती है। यह हर्ब लिवर की विभिन्न समस्याओं जैसे फैटी लिवर, हेपेटाइटिस, लिवर सिरोसिस, inflammation आदि बीमारियों में भी काफी लाभदायक है।
मानसिक स्वास्थ्य सुधारती है
गिलोय में बेहतरीन adaptogenic गुण होते हैं, इसी वजह से ये मानसिक तनाव को कम करती है मूड अपलिफ्ट करती है, एंग्जायटी, डिप्रेशन आदि समस्याओं को ठीक करने में हेल्पफुल है। गिलोय को हम एक अच्छे nervine tonic के रूप में समझ सकते हैं, यह मस्तिष्क कोशिकाओं को सपोर्ट करती है और प्रत्येक न्यूरॉन तक ऑक्सीजन सप्लाई को बढ़ाती है।
आर्थराइटिस के इलाज में सहायक
गिलोय में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी आर्थराइटिस गुण होते हैं, इसी कारण गठिया के उपचार में ये काफी सहायक है। यह घुटनों और जोड़ों के दर्द को कम करती है, सूजन में राहत देती है और हड्डियों को मज़बूती प्रदान करती है, तो आपके घर के बड़े बुज़ुर्ग जिनको गाउट की परेशानी हो उन्हें आप गिलोय का सेवन ज़रूर कराएं।
यौन स्वास्थ्य सुधारती है
गिलोय में aphrodisiac properties होती है, यह यौन अंगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है, यौन अंगों की शिथिलता करती है पुरुषों में शीघ्र पतन व स्तम्भन दोष को दूर करती है और यह हर्ब मेल व फीमेल दोनों में यौन इच्छा बढ़ाती है। अगर आप नैचुरली सेक्स हेल्थ इम्प्रूव करना चाहिए तो गिलोय के रेगुलर इस्तेमाल से आपको काफी फायदा मिलेगा।
श्वसन सम्बन्धी रोगों के उपचार में सहायक
गिलोय का इस्तेमाल खांसी, निमोनिया, अस्थमा, ब्रीथिंग डिफीकल्टीज, congestion, tonsils, throat infections, lungs infections आदि को ठीक करने के लिए किया जाता है।
त्वचा के लिए उपयोगी
गिलोय विभिन्न त्वचा रोगों जैसे फोड़े, फुंसियां, झाइयां आदि को ठीक करने में बहुत बेनेफिशियल है, इसमें एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल प्रॉपर्टीज होती हैं जो त्वचा में होने वाली एलर्जी जैसे aczema ,soriasis , रेडनेस आदि को बहुत जल्दी ठीक करती है। इसके इस्तेमाल से त्वचा के दाग धब्बे तो दूर होते ही हैं, साथ ही स्किन में ग्लो आता है और ये early ageing signs को आने से भी रोकती है।
खून की कमी दूर करती है
यह एक कॉमन बीमारी है जो ज़्यादातर महिलाओं में देखने को मिलती है, एनीमिया के कारण शारीरिक थकान, चक्कर आना, कमज़ोरी आदि लक्षण देखने को मिलते हैं और इन सभी परेशानियों की वजह से normal routine tasks करना भी बहुत मुश्किल हो जाता है। गिलोय रेड ब्लड सेल्स के फार्मेशन को बढ़ाती है, खून की कमी को दूर करती है और साथ ही यह as a blood purifier काम करके रक्त की अशुद्धियों को भी दूर करती है। anemia के उपचार के लिए आप गिलोय के पाउडर को घी और शहद के साथ ले सकते हैं।
अन्य लाभ
- गिलोय पीलिया को ठीक करती है।
- टी बी के इलाज व रोकथाम में सहायक है।
- इसमें मूत्रवर्धक गुण होते हैं।
- यह मूत्रजनन पथ के संक्रमणों के इलाज में लाभदायक है।
- यह याददाश्त मज़बूत बनाती है।
- गिलोय बवासीर को दूर करती है।
- यह कान सम्बन्धी बीमारियों को ठीक करती है।
- यह शरीर से हार्मफुल टॉक्सिन्स को बहार निकलने में मदद करती है।
गिलोय खाने का तरीका – गिलोय की खुराक और सावधानियाँ
गिलोय को आप जूस, काढ़ा या powder किसी भी फॉर्म में ले सकते हैं, अगर आप गिलोय पाउडर का सेवन कररहे हैं तो 3-4 ग्राम पाउडर को आप दिन में दो बार पानी के साथ ले सकते हैं और जूस के रूप में 10-15 मिलीलीटर मात्रा लेने की सलाह दी जाती है। काढ़ा बनाने के लिए आप गिलोय की पत्तियों को कुछ देर पानी में पकाकर स्ट्रेन करके पी सकते हैं और आप चाहें तो गिलोय पाउडर को आमला पाउडर या मुरब्बे के साथ भी खा सकते हैं।
ध्यान रखें दोस्तों, गिलोय की तासीर गरम होती है इसलिए बहुत ज़्यादा क्वांटिटी में या दिन में कई बार इसका सेवन नहीं करना चाहिए, और बेहतर तो यह होगा की आप इसका इस्तेमाल शुरू करने से पहले किसी herbalist या डॉक्टर को अपनी प्रॉब्लम बताकर गिलोय की सही dose के बारे में कंसल्ट करें।
साइड इफेक्ट्स
गिलोय के सेवन से कभी कभी कुछ unusual symptoms देखने को मिल सकते हैं जैसे-
- स्किन एलर्जी
- निम्न या उच्च रक्तचाप
- जी मिचलाना
- ऑटो इम्यून डिसऑर्डर
- शारीरिक बेचैनी आदि








